Mehbooba Mufti & Gulam Nabi Azad


महबूबा मुफ़्ती और ग़ुलाम नबी आज़ाद के बयान




काश्मीर की CM महबूबा मुफ़्ती कहती हैं कि काश्मीर की लड़ाई वहाँ के लोगों ने लड़ी है जिस में वहाँ के लोग मारे गए हैं, हुर्रियत ने भी लड़ी है जिस में उनके भी लोग मारे गए हैं। और अगर अब उनके अधिकारों ( Articles 35A & 370 ) को खत्म किया गया तो वहाँ तिरंगा उठाने के लिए 4 कन्धे भी नही मिलेंगे।

महबूबा मुफ़्ती को, जो 1947 में पैदा भी नही हुई थी, यह जानना चाहिए कि पाकिस्तान के साथ हर लड़ाई काश्मीर के लोगों ने नही बल्कि भारतीय जवानों ने अपने प्राण देकर लड़ी है। 1947 से लेकर आज तक हज़ारों लाखों जवान अपने प्राण देकर काश्मीर और वहाँ के लोगों की, उनके हर मुसीबत में, रक्षा करते आये हैं, चाहे वह पाकिस्तान के साथ लड़ाई हो, आतंकवाद हो या कोई क़ुदरती क़हर, जैसे कुछ ही साल पहले पूरे शहर को पानी में ढूबने से बचाया था उन्होंने।

वहाँ अगर कभी कोई लोग मारे गए हैं, या तो आतंकवाद के कारण या देश के विरुद्ध विद्रोह करने या बन्दूक़ उठाने के कारण। Otherwise, they have all along enjoyed all the benefits and privileges of life ( political, social and financial ) never available to other states of India.

महबूबा " तिरंगे " की चिन्ता ना करे। वह अपनी और अपने उपद्रवी लोगों की चिंता करे और आने वाले क़ुदरत के क़हर से डरे। क्योंकि वहाँ के असली नागरिक, काश्मीरी हिन्दुओं के साथ जो अत्याचार वहाँ 1354 AD में Shah Mir and Shihab-ud-Din से लेकर 1990 में Farooq Abdullah तक होते रहे हैं, और जिस प्रकार फ़िर 1990 में उन्हें अपनी जन्म भूमि और अपने घरेों से बन्दूक़ के नोक पर वहाँ से बड़ी बेरहमी से निकाला गया, उसका क़ुदरत का न्याय अभी बाक़ी है। एक दिन वह न्याय ज़रूर हो कर रहेगा और वही काश्मीर में क़ुदरत का अन्तिम फ़ैसला भी होगा। Amen
----- एक पीड़ित कश्मीरी पँडित


ग़ुलाम नबी आज़ाद कहते हैं कि बाजपा देश को तोड़ने का काम कर रहा है।
उनसे निवेदन है कि वह यह बात काश्मीर जाकर अपने काश्मीर भाइयों से कहे जो 1947 से कांग्रेस समर्थन के साथ इस काम में लगे हैं।
और साथ ही वह यह बात अपने कांग्रेसी सदस्यों से कहे जो विपक्ष से मिलकर देश के लगभग हर राज्य में इस दिशा में काम कर रहे है।
------ एक पीड़ित काश्मीरी पँडित
*Mohan Dhar
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